रंगमंच

मंच पर सब पात्र हैं

सब रंग हैं

सब साथ हैं

थामे हैं हाथ कोई किसी का

कोई यूँही अकेले खड़ा है कहीं

दिल की बात कह रहा कोई

कोई दिल बहलाने को बतला रहा

कुछ सुन रहे

कुछ समझ रहे

कुछ और भी हैं

महसूस करने वाले

सारा प्रपंच है

और सबकी अपनी कहानी

कहने सुनने के इस सिलसिले में

रिश्ते गढ़ते जाते हैं

साथ बिताए समय को

यादों में संजों के रखते हैं

अंधेरी रातों में ये

तारों की तरह चमकते हैं

पात्र कुछ जाते हैं

नये किरदार आ जाते हैं

रंगमच का खेल

निरंतर चलता रहता है

मंच पर सब पात्र हैं

सब रंग हैं।

सब साथ हैं।।

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Aaditya Tiwari

शब्द के आडम्बरों में अर्थ मेरा खो न जाये. OSD to Sh @pemakhandubjp| @TeachForIndia | @indfoundation | @ColumbiaSIPA |Quizzer|Like to write poems|Views personal