साथी वो जो छूट गये

Aaditya Tiwari
1 min readOct 11, 2017

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निकले थे जो संग में अपने

साथी वो कुछ छूट गए

कुछ मिले सहज़ चलते फिरते

कुछ बिछड़ गए जुड़ते जुड़ते

कुछ बात नहीं अब करते हैं

कुछ हम भी थोड़ा अकड़ते हैं

कुछ उनकी भी मजबूरी थी

कुछ तो सीना ज़ोरी थी

जो बातें वो सब होती थी

कुछ कहती थी, कुछ सुनती थी

कुछ शब्द कहीं जो कम पड़ते

वो नज़रें पूरा करती थी

वो लोग कहीं जो छूटे हैं

यादों में अब भी आते हैं

बहते बहते हवा संग

कोने में किसी टकराते हैं

सवाल है ये, उम्मीद भी की

चलते फिरते जब मिलेंगे वो

शब्दों से तो सब करते हैं

नज़रों से भी बतला लेंगें?

यादों की उलझी हुई गुत्थी

क्या बातों से सुलझा लेंगे!

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Aaditya Tiwari
Aaditya Tiwari

Written by Aaditya Tiwari

शब्द के आडम्बरों में अर्थ मेरा खो न जाये. OSD to Sh @pemakhandubjp| @TeachForIndia | @indfoundation | @ColumbiaSIPA |Quizzer|Like to write poems|Views personal

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