सब याद रखा जाएगा।
सब याद है इतिहास को
कुछ भूला नहीं है वो
कुछ करवटें आए अगर
थोड़ा बिखरना भी सही
लेकिन साहब,
ये देश का इतिहास है
कोई आज की बात नहीं
इतिहास यहाँ का कोई कल की शुरुआत नही
कहानी लंबी है इसकी, कहाँ से शुरू करोगे?
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी
लोग आएँगे, लोग जाएँगे चले
यहाँ की हस्ती है लेकिन ऐसी
की मिट नही सकती
सदियों, हज़ारों साल की कोशिश रही है जो
सब याद है इसको
कोई कुछ भी भूला नहीं
इतिहास को मिटाने की कितनी ही कोशिश हुई
ज़मीन की गहराइयों से वो खुद निकल खड़ा है देखो
सब याद था उसको, सब याद रहेगा
और कोई कितना भी चाहे, सच है!
सब याद रखा जाएगा :)
(Was prompted to write this poem after listening to this https://youtu.be/5_okg1cCkvg)