शहर बसाते हैं…

Aaditya Tiwari
Sep 24, 2023

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शहरों से लोग नहीं

लोग शहर बसाते हैं|

शहर आते हैं,

अपने साथ कुछ लेकर

अपना कुछ, पीछे छोड़कर।

जो लाए हैं,

उससे शहर बनाते हैं

शहर को कुछ देते हैं

शहर का कमाते हैं।

सूनी सड़को पर देर-रात

गुनगुनाते हैं।

अपना सा अनजाना दिख जाए

मुस्कराते हैं।

ऊँची इमारतों के बीच

बोली में अपनी,

बतलाते हैं।

अपनी जड़ों से बिछड़ने का

ग़म छिपाते हैं।

नए पतों पर

पुरानी स्मृतियाँ सजाते हैं।

शहरों से लोग नहीं

लोग शहर बसाते हैं|

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Aaditya Tiwari
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Written by Aaditya Tiwari

शब्द के आडम्बरों में अर्थ मेरा खो न जाये.

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