रंगमंच
Oct 9, 2021
मंच पर सब पात्र हैं
सब रंग हैं
सब साथ हैं
थामे हैं हाथ कोई किसी का
कोई यूँही अकेले खड़ा है कहीं
दिल की बात कह रहा कोई
कोई दिल बहलाने को बतला रहा
कुछ सुन रहे
कुछ समझ रहे
कुछ और भी हैं
महसूस करने वाले
सारा प्रपंच है
और सबकी अपनी कहानी
कहने सुनने के इस सिलसिले में
रिश्ते गढ़ते जाते हैं
साथ बिताए समय को
यादों में संजों के रखते हैं
अंधेरी रातों में ये
तारों की तरह चमकते हैं
पात्र कुछ जाते हैं
नये किरदार आ जाते हैं
रंगमच का खेल
निरंतर चलता रहता है
मंच पर सब पात्र हैं
सब रंग हैं।
सब साथ हैं।।